उपराष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा; इलेक्शन कमीशन ने जारी किया पूरा शेड्यूल, इस तारीख को वोटिंग, देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन?

Election Commission Announced Vice President Election 2025
Vice President Election 2025: भारत के उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चयन के लिए चुनाव का ऐलान हो गया है। इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने आज (1 अगस्त) को उपराष्ट्रपति चुनाव के संबंध में पूरा शेड्यूल जारी कर दिया है। जारी किए गए शेड्यूल के अनुसार, 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा। जिसके बाद देश को 15वां उपराष्ट्रपति मिलेगा। धनखड़ भारत के 14वें उपराष्ट्रपति थे।
नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव को लेकर 7 अगस्त से अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त होगी। 22 अगस्त को नामांकनों की छटनी की जाएगी। जबकि 25 अगस्त तक उम्मीदवार अपने नामांकन वापस ले सकते हैं। वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर 2025 को वोटिंग कराई जाएगी। वोटिंग का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक का रखा गया है। इसी दिन चुनाव के परिणाम की भी घोषणा कर दी जाएगी।
उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन-कौन वोट डालेगा?
आपको यह तो मालूम ही होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President Election in India) में जनता वोट नहीं करती है। तो आखिर कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव, कौन डालता है वोट? आइये जानते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव की सारी प्रक्रिया। दरअसल उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा/राज्यसभा के सांसद (निर्वाचित और मनोनित) वोट डालते हैं।
वहीं चुनाव (Vice President Election in India) के बाद जब वोटों की गिनती की जाती है तो यह गिनती साधारण तरीके से नहीं होती है। यहां वोटों की गिनती का अलग गणित है। मान लीजिये कि अगर एक वोट डाला गया है तो उसे एक नहीं गिना जाएगा। इस वोट का रिजल्ट कई प्रकार से निकलेगा।
उपराष्ट्रपति का पद दूसरा अहम संवैधानिक पद
देश में सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति का होता है और इसके बाद फिर उपराष्ट्रपति का पद ही दूसरा अहम संवैधानिक पद माना जाता है। यानि देश का दूसरा सबसे बड़ा पद। राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या हटाने की स्थिति में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य कर सकता है, जब तक कि नए राष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं हो जाती है। इसके अलावा जो भी देश का उपराष्ट्रपति बनता है, वह ही संसद के उच्च सदन राज्यसभा का सभापति भी होता है।
21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा
ज्ञात रहे कि, 21 जुलाई की रात जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजा। जिसके बाद अगले दिन ही धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। इधर जगदीप धनखड़ के अचानक उपराष्ट्रपति पद छोड़ने से देश की राजनीति में भारी हलचल पैदा हो गई। जगदीप धनखड़ के इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया।
हालांकि इस्तीफे के पीछे धनखड़ ने 'खराब स्वास्थ्य और चिकित्सा सलाह' का हवाला दिया था। लेकिन हेल्थ ग्राउंड पर दिए गए धनखड़ के इस्तीफे को कोई जल्दी से स्वीकार नहीं कर पा रहा है और कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष ने इस पर बेहद हैरानी जताई है। इस्तीफे से पहले जगदीप धनखड़ संसद सत्र के पहले दिन की कार्यवाही में सामान्य रूप से शामिल हुए थे। इसके बाद वह शाम को विपक्ष के सांसदों से मिले भी। किसी को यह नहीं लगा कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं।
विपक्ष का कहना है कि, जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा सामान्य नहीं है। उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं है, बल्कि उनसे इस्तीफा लिया गया है, उनके और मोदी सरकार के बीच संबंध अब ठीक नहीं लग रहे। यह मोदी सरकार की राजनीतिक चाल है। फिलहाल अब सवाल यह है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? फिलहाल इसके लिए चर्चाओं का दौर गर्म है। कुछ नामों पर अटकलें लग रहीं हैं। BJP-NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर अब सबकी नजर है।
जगदीप धनखड़ के बारे में
जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 को राजस्थान के झुंझनु जिले के किठाना गांव में हुआ था। वह जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। धनखड़ की शुरुवाती पढ़ाई राजस्थान में ही हुई और इसके बाद जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिक्स में स्नातक किया। इसके बाद धनखड़ ने कानून की पढ़ाई के लिए एलएलबी कोर्स में एडमिशन ले लिया और कानून डिग्री हासिल की. इसके बाद धनखड़ ने वकालत शुरू कर दी। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस की। इसके बाद वह धीरे-धीरे राजनीतिक सफर में आ गए।
जगदीप धनखड़ का सियासी सफर
जगदीप धनखड़ ने राजनीति में आने के बाद पहला चुनाव 1989 में झुंझनु से लोकसभा का जीता। वह पहली बार झुंझनु से लोकसभा सांसद बने। इसके साथ ही 1990 में वह संसदीय मामले के केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए गए। इसके बाद वह 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे। वहीं 2019 में सक्रिय राजनीति से दूर होकर जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। वह 30 जुलाई 2019 से 18 जुलाई 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।
वहीं जुलाई 2022 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से हटने के बाद जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में NDA उम्मीदवार के रूप मे उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। 11 अगस्त को धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। अब उन्होंने 21 जुलाई 2025 को उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। इस तरह वह 11 अगस्त 2022 से 21 जुलाई 2025 तक उपराष्ट्रपति रहे। हालांकि, बतौर उपराष्ट्रपति धनखड़ का कार्यकाल 2027 में पूरा होना था। लेकिन इससे पहले ही उन्होंने पद छोड़ दिया।